उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र भचक्र के 27 नक्षत्रों में से 12वां नक्षत्र है। उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र राशिचक्र की सिंह (प्रथमपद) और कन्या राशि (अंतिम तीन पद )में पड़ता है। इसका विस्तार राशिचक्र के 146.40 डिग्री से 160.00 डिग्री तक है। उत्तराफाल्गुनी में कुल चार तारे होते हैं और ये इस तरह स्थित होते हैं कि देखने में ये पलंग के सिरहाने जैसे दिखते हैं। तारों की संख्या को लेकर, विशेषज्ञों में मतभेद है जिनके अनुसार इसमें दो तारे हैं। उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के अधिष्ठाता देव आर्यमान है। इस नक्षत्र पर सूर्य का प्रभुत्व है। उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का अर्थ है - पीछे वाला।
भारतीय खगोल मे यह 12 वा नक्षत्र ध्रुव संज्ञक है। यह अत्यंत शुभ, विद्यादाता, राजसिक और स्त्री नक्षत्र है। यह पूर्व दिशा का स्वामी है और इसके अधिकतर गुण-दोष पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र जैसे ही है। केवल अंतर सूर्य के कारण है। यह नक्षत्र प्रकाश दायक, क्रूर, तीक्ष्ण, भाग्य दायक और ऊर्जा से भरपूर है। इस नक्षत्र पर सूर्य के प्रभाव के कारण ही इसमें ये सभी गुण विद्यमान होते हैं। यह संरक्षण और सहायता देने वाला नक्षत्र है। यह नक्षत्र मुख्यतः प्रेम, विवाह, रिश्तेदारी और आनंद का प्रतीक है। इस नक्षत्र में विवाह की बातचीत व विवाह अत्यंत शुभ फलप्रदायी है। उत्तराफाल्गुनी में जन्मा जातक आध्यात्मिक या तन्त्र-मन्त्र में अत्यधिक रुचि रखता है।
पारिवारिक जीवन-
उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र / Uttara Phalguni Nakshatra में जन्मा जातक अपने पारिवारिक जीवन से बहुत ही संतुष्ट रहता है। ऐसा जातक परिवार के प्रति अत्यंत जिम्मेदार होता है। ये अपने घर परिवार के हर मामले में अत्यंत सजग रहते हैं। ये अपने परिवार और बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करते हैं। हालांकि इस नक्षत्र में जन्मे जातक कुछ क्रोधी और जिद्दी भी होते हैं। ये दूसरो पर हावी होने का प्रयास करते हैं और इनका आक्रामक स्वभाव परिवार के लोगों में तनाव और कठिनाइयों का कारण बन सकता है। जातक किसी भी रिश्ते को लम्बा निभाने के लिए प्रयासरत रहता है और यही कारण है कि इनके आपसी सम्बन्ध बहुत अच्छे रहते हैं। यह लोग समाज में एक अच्छा स्थान रखते हैं और प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं। जीवन साथी व संतान का सुख इन्हें प्राप्त होता है। ये अधिकतर दिखावे में विश्वास करते हैं जो इन्हें नहीं करना चाहिए।
दाम्पत्य जीवन-
इस नक्षत्र में जन्में लोगों का वैवाहिक जीवन बहुत अच्छा रहता है। संतोषप्रिय प्रवृत्ति के कारण अपने वैवाहिक जीवन से आप अत्यंत ख़ुश रहते हैं। इस नक्षत्र में जन्में लोगों को एक अच्छा जीवनसाथी मिलता है जो घर के कामकाज में अत्यंत कुशल होता है और शांतिप्रिय व मृदुभाषी होता है। ऐसे लोगों की गणित और विज्ञान में विशेष रुचि होती है और वे अध्यापन एवं प्रशासन के क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। मॉडलिंग व अभिनय के क्षेत्र में भी वे सफल होते हैं। प्रदर्शन और दिखावे से दूर रहना इनके स्वभाव में होता है।
इस नक्षत्र में जन्मी महिलाओं का वैवाहिक जीवन अत्यंत सामान्य बना रहता है। हालांकि संतान होने के बाद इन महिलाओं के दांपत्य जीवन में दुगुनी ख़ुशी आ जाती है। इनके पति और इनके बच्चे इन्हें बेहद प्यार करते हैं। ये महिलाएं अच्छी गृहिणी होती हैं और घर के सभी कामों को बहुत निपुणता से संभालती हैं। इनका विवाह एक अमीर परिवार में होता है। इस नक्षत्र की महिलाओं में एक अवगुण है कि इन्हें अपने पैसों का दिखावा करना अत्यंत पसंद है। इस वजह से अक्सर दूसरी महिलाएं इनसे ईर्ष्या करती हैं। इस कारण इनके वैवाहिक रिश्ते भी प्रभावित होते हैं।
हर क्षेत्र की तरह, उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्में पुरुषों का वैवाहिक जीवन बहुत ही स्वस्थ और सुखी व्यतीत होता है। जीवनसाथी के साथ इनके संबंध बहुत सुगम और सरल होते हैं। इनके बीच आमतौर पर मनमुटाव की स्थिति कम ही होती है। इनकी महिला जीवनसंगिनी इनके लिए अत्यंत सौभाग्यशाली रहती है।
सकारात्मक पक्ष -
इस नक्षत्रप में जन्मे लोग दयालु और दानी होते हैं। इसके अलावा ऐसे जातक साहसी, धैर्यवान, ऊर्जा से भरे, कीर्तिवान, विद्वान, चतुर, बुद्धिमान, सही निर्णय लेने वाले, पूर्वाभास की क्षमता रखने वाले, अध्ययनशील, गणित, साहित्य एवं भाषा आदि में विशेष प्रवीण होते हैं। जातक अपने पुरुषार्थ से धनोपार्जन करने में सफल होते हैं और सामाजिक ख्याति भी बहुत मिलती है। जातक का विवाह तुला राशि या तुला लग्न वाले जीवन साथी से अति उत्तम माना गया है।
नकारात्मक पक्ष -
इस नक्षत्र में जन्में लोगों पर सूर्य का अत्यधिक असर रहता है। यदि सूर्य और बुध की स्थिति जन्म कुंडली में अच्छी ना हो तो व्यक्ति अनैतिक आचरण में रत रहता है। और विवाह के अतिरिक्त भी सम्बन्ध बना सकता है।
उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का वैदिक मंत्र -
ॐ दैव्या वद्धर्व्यू च आगत गवं रथेन सूर्य्यतव्चा ।
मध्वायज्ञ गवं समञ्जायतं प्रत्नया यं वेनश्चित्रं देवानाम ।
ॐ अर्यमणे नम: ।
उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के दुष्प्रभावों को काम करने के उपाय-
उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के बुरे प्रभावों से बचने के लिए जातक को सूर्य भगवान की पूजा करनी चाहिए।
सूर्य भगवान् को जल चढा़ना उत्तम उपाय होता है। और साथ ही साथ आदित्य हृदय स्त्रोत्र भी पढ़ना चाहिए।
गायत्री मंत्र का जाप करना भी शुभ परिणाम लाता है।
सिंह पर विराजमान माँ दुर्गा और काली मां की पूजा उपासना भी इस नक्षत्र के लिए अत्यंत उपयोगी है।
लाल, सुनहरे, हरे, सफेद इत्यादि रंगों का उपयोग करना भी अच्छा माना गया है।
बहुत अधिक भड़कीले वस्त्रों से बचना चाहिए।
इस नक्षत्र के जातक, सात रत्ती के पन्ने की अंगूठी सोने में पहन सकते हैं।
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